Sukhmani Sahib Ashtpadi 1 Hindi Lyrics & Meaning

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1 Hindi Lyrics, and Meaning.

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1 Hindi Lyrics & Meaning

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

सुखमनी साहिब असटपदी 1

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

गउड़ी सुखमनी मः ५ ॥

सलोकु ॥

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ईश्वर एक है, जिसे सतगुरु की कृपा से पाया जा सकता है।

आदि गुरए नमह ॥
मैं आदि गुरु को प्रणाम करता हूँ।

जुगादि गुरए नमह ॥
मैं पहले युगों के गुरु को प्रणाम करता हूँ।

सतिगुरए नमह ॥
मैं सतिगुरु को प्रणाम करता हूँ।

स्री गुरदेवए नमह ॥१॥
मैं श्री गुरुदेव जी को प्रणाम करता हूँ ॥१॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1
असटपदी ॥
अष्टपदी ।

सिमरउ सिमरि सिमरि सुखु पावउ ॥
परमात्मा का नाम सिमरन करो और नाम-सिमरन करके सुख हासिल करो।

कलि कलेस तन माहि मिटावउ ॥
इस तन में जो दुःख-क्लेश हैं, उन्हें मिटा लो।

सिमरउ जासु बिसु्मभर एकै ॥
केवल, एक जगत् के पालनहार प्रभु के यश को स्मरण करो।

नामु जपत अगनत अनेकै ॥
असंख्य लोग प्रभु के अनेक नामों का जाप करते हैं।

बेद पुरान सिम्रिति सुधाख्यर ॥
पवित्र अक्षर वाले वेद, पुराण एवं स्मृतियां

कीने राम नाम इक आख्यर ॥
प्रभु के नाम के एक अक्षर की रचना है।

किनका एक जिसु जीअ बसावै ॥
जिसके हृदय में राम का नाम थोड़ा-सा भी वास करता है।

ता की महिमा गनी न आवै ॥
उसकी महिमा व्यक्त नहीं की जा सकती।

कांखी एकै दरस तुहारो ॥
हे प्रभु ! जो लोग तेरे दर्शनों के अभिलाषी हैं,

नानक उन संगि मोहि उधारो ॥१॥
उनकी संगति में रखकर मुझ नानक का भी उद्धार कर दो ॥१॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

सुखमनी सुख अम्रित प्रभ नामु ॥
सुखमनी प्रभु का सुख रूपी अमृत नाम है।

भगत जना कै मनि बिस्राम ॥ रहाउ ॥
जिसका भक्तजनों के मन में निवास होता है। रहाउ॥

प्रभ कै सिमरनि गरभि न बसै ॥
प्रभु को स्मरण करने से प्राणी गर्भ में नहीं आता।

प्रभ कै सिमरनि दूखु जमु नसै ॥
प्रभु को स्मरण करने से दुःख एवं मृत्यु का भय निवृत्त हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि कालु परहरै ॥
प्रभु का सिमरन करने से काल भी दूर हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि दुसमनु टरै ॥
प्रभु को स्मरण करने से शत्रु टल जाता है।

प्रभ सिमरत कछु बिघनु न लागै ॥
प्रभु को स्मरण करने से कोई विध्न नहीं पड़ता।

प्रभ कै सिमरनि अनदिनु जागै ॥
प्रभु को स्मरण करने से मनुष्य रात-दिन जाग्रत रहता है।

प्रभ कै सिमरनि भउ न बिआपै ॥
प्रभु को स्मरण करने से भय प्रभावित नहीं करता।

प्रभ कै सिमरनि दुखु न संतापै ॥
प्रभु को स्मरण करने से दुःख-क्लेश प्रभावित नहीं करता।

प्रभ का सिमरनु साध कै संगि ॥
ईश्वर को स्मरण करने से संतों की संगति प्राप्त होती है।

सरब निधान नानक हरि रंगि ॥२॥
हे नानक ! समस्त निधियाँ ईश्वर की प्रीति में है ॥२॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

प्रभ कै सिमरनि रिधि सिधि नउ निधि ॥
प्रभु के सिमरन में ऋद्धि, सिद्धि एवं नौ निधियाँ हैं।

प्रभ कै सिमरनि गिआनु धिआनु ततु बुधि ॥
प्रभु के सिमरन से ही मनुष्य ज्ञान, ध्यान, दिव्यदृष्टि एवं बुद्धि का सार प्राप्त करता है।

प्रभ कै सिमरनि जप तप पूजा ॥
प्रभु के सिमरन में ही, जप, तपस्या एवं पूजा है।

प्रभ कै सिमरनि बिनसै दूजा ॥
प्रभु को स्मरण करने से द्वेतभाव दूर हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि तीरथ इसनानी ॥
प्रभु को स्मरण करने से तीर्थ स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि दरगह मानी ॥
प्रभु को स्मरण करने से प्राणी उसके दरबार में मान-सम्मान प्राप्त कर लेता है।

प्रभ कै सिमरनि होइ सु भला ॥
प्रभु को स्मरण करने से प्राणी उसकी इच्छा को मीठा (भला) मानता है।

प्रभ कै सिमरनि सुफल फला ॥
प्रभु को स्मरण करने से मनुष्य-जन्म का मनोरथ सफल हो जाता है।

से सिमरहि जिन आपि सिमराए ॥
केवल वही जीव उसे स्मरण करते हैं, जिन्हें वह स्वयं स्मरण करवाता है।

नानक ता कै लागउ पाए ॥३॥
हे नानक ! मैं उन सिमरन करने वाले महापुरुषों के चरण-स्पर्श करता हूँ ॥३॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

प्रभ का सिमरनु सभ ते ऊचा ॥
प्रभु का सिमरन सबसे ऊँचा है।

प्रभ कै सिमरनि उधरे मूचा ॥
प्रभु का सिमरन करने से अनेक प्राणियों का उद्धार हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि त्रिसना बुझै ॥
प्रभु का सिमरन करने से तृष्णा मिट जाती है।

प्रभ कै सिमरनि सभु किछु सुझै ॥
प्रभु का सिमरन करने से सब कुछ सूझ जाता है।

प्रभ कै सिमरनि नाही जम त्रासा ॥
प्रभु का सिमरन करने से यम (मृत्यु) का भय निवृत हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि पूरन आसा ॥
प्रभु का सिमरन करने से अभिलाषा पूरी हो जाती है।

प्रभ कै सिमरनि मन की मलु जाइ ॥
प्रभु का सिमरन करने से मन की मैल उतर जाती है

अम्रित नामु रिद माहि समाइ ॥
और भगवान का अमृत नाम हृदय में समा जाता है।

प्रभ जी बसहि साध की रसना ॥
पूजनीय प्रभु अपने संत पुरुषों की रसना में निवास करते हैं।

नानक जन का दासनि दसना ॥४॥
हे नानक ! मैं गुरमुखों के दासों का दास हूँ ॥४॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

प्रभ कउ सिमरहि से धनवंते ॥
जो प्रभु का सिमरन करते हैं, ऐसे व्यक्ति ही धनवान हैं।

प्रभ कउ सिमरहि से पतिवंते ॥
जो प्रभु का सिमरन करते हैं, वही व्यक्ति इज्जतदार हैं।

प्रभ कउ सिमरहि से जन परवान ॥
जो लोग प्रभु को स्मरण करते हैं, वे प्रभु के दरबार में स्वीकृत होते हैं।

प्रभ कउ सिमरहि से पुरख प्रधान ॥
जो व्यक्ति प्रभु का सिमरन करते हैं, वे जगत् में प्रसिद्ध हो जाते हैं।

प्रभ कउ सिमरहि सि बेमुहताजे ॥
जो पुरुष प्रभु का सिमरन करते हैं, वे किसी के आश्रित नहीं रहते।

प्रभ कउ सिमरहि सि सरब के राजे ॥
जो प्राणी प्रभु का सिमरन करते हैं, वे सब के सम्राट हैं।

प्रभ कउ सिमरहि से सुखवासी ॥
जो प्राणी प्रभु को स्मरण करते हैं, वह सुख में निवास करते हैं।

प्रभ कउ सिमरहि सदा अबिनासी ॥
जो प्रभु को स्मरण करते हैं, वे अमर हो जाते हैं।

सिमरन ते लागे जिन आपि दइआला ॥
जिन पर ईश्वर दयालु होता है, केवल वही व्यक्ति प्रभु का सिमरन करते हैं।

नानक जन की मंगै रवाला ॥५॥
हे नानक ! मैं प्रभु के सेवकों की चरणधूलि ही मांगता हूँ ॥५॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

प्रभ कउ सिमरहि से परउपकारी ॥
जो व्यक्ति प्रभु का सिमरन करते हैं, ऐसे व्यक्ति परोपकारी बन जाते हैं।

प्रभ कउ सिमरहि तिन सद बलिहारी ॥
जो व्यक्ति प्रभु का सिमरन करते हैं, मैं उन पर हमेशा ही कुर्बान जाता हूँ।

प्रभ कउ सिमरहि से मुख सुहावे ॥
जो व्यक्ति प्रभु का सिमरन करते हैं, उनके मुख अति सुन्दर हैं।

प्रभ कउ सिमरहि तिन सूखि बिहावै ॥
जो प्राणी प्रभु को स्मरण करते हैं, वह अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत करते हैं।

प्रभ कउ सिमरहि तिन आतमु जीता ॥
जो प्रभु का सिमरन करते हैं, वह अपने मन को जीत लेते हैं।

प्रभ कउ सिमरहि तिन निरमल रीता ॥
जो प्राणी प्रभु को स्मरण करते हैं, उनका जीवन-आचरण पावन हो जाता है।

प्रभ कउ सिमरहि तिन अनद घनेरे ॥
जो प्रभु का सिमरन करते हैं, उन्हें अनेक खुशियाँ एवं हर्षोल्लास ही प्राप्त होते हैं।

प्रभ कउ सिमरहि बसहि हरि नेरे ॥
जो प्राणी प्रभु का सिमरन करते हैं, वह ईश्वर के निकट वास करते हैं।

संत क्रिपा ते अनदिनु जागि ॥
संतों की कृपा से वह रात-दिन जाग्रत रहते हैं।

नानक सिमरनु पूरै भागि ॥६॥
हे नानक ! प्रभु-सिमरन की देन भाग्य से ही प्राप्त होती है ।६॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

प्रभ कै सिमरनि कारज पूरे ॥
प्रभु का सिमरन करने से समस्त कार्य सम्पूर्ण हो जाते हैं।

प्रभ कै सिमरनि कबहु न झूरे ॥
प्रभु का सिमरन करने से प्राणी कभी चिन्ता-क्लेश के वश में नहीं पड़ता।

प्रभ कै सिमरनि हरि गुन बानी ॥
प्रभु के सिमरन द्वारा मनुष्य भगवान की गुणस्तुति की वाणी करता है।

प्रभ कै सिमरनि सहजि समानी ॥
प्रभु के सिमरन द्वारा मनुष्य सहज ही परमात्मा में लीन हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि निहचल आसनु ॥
प्रभु के सिमरन द्वारा वह अटल आसन प्राप्त कर लेता है।

प्रभ कै सिमरनि कमल बिगासनु ॥
प्रभु के सिमरन द्वारा मनुष्य का हृदय कमल प्रफुल्लित हो जाता है।

प्रभ कै सिमरनि अनहद झुनकार ॥
प्रभु के सिमरन द्वारा दिव्य भजन गूंजता है।

सुखु प्रभ सिमरन का अंतु न पार ॥
प्रभु के सिमरन द्वारा सुख का कोई अन्त अथवा पार नहीं।

सिमरहि से जन जिन कउ प्रभ मइआ ॥
जिन प्राणियों पर प्रभु की कृपा होती है, वह उसका सिमरन करते रहते हैं।

नानक तिन जन सरनी पइआ ॥७॥
हे नानक ! (कोई किस्मत वाला ही) उन प्रभु-स्मरण करने वालों की शरण लेता है ॥७॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1

हरि सिमरनु करि भगत प्रगटाए ॥
भगवान का सिमरन करके भक्त दुनिया में लोकप्रिय हो जाते हैं।

हरि सिमरनि लगि बेद उपाए ॥
भगवान के सिमरन में ही सम्मिलित होकर वेद (इत्यादि धार्मिक ग्रंथ) रचे गए।

हरि सिमरनि भए सिध जती दाते ॥
भगवान के सिमरन द्वारा ही मनुष्य सिद्ध, ब्रह्मचारी एवं दानवीर बन जाते हैं।

हरि सिमरनि नीच चहु कुंट जाते ॥
भगवान के सिमरन द्वारा नीच पुरुष चारों दिशाओं में प्रसिद्ध हो गए।

हरि सिमरनि धारी सभ धरना ॥
भगवान के सिमरन ने ही सारी धरती को धारण किया हुआ है।

सिमरि सिमरि हरि कारन करना ॥
हे जिज्ञासु ! संसार के कर्ता परमेश्वर को सदा स्मरण करते रहो।

हरि सिमरनि कीओ सगल अकारा ॥
प्रभु ने अपने सिमरन हेतु सृष्टि की रचना की है।

हरि सिमरन महि आपि निरंकारा ॥
जहाँ प्रभु का सिमरन होता है, उस स्थान पर स्वयं निरंकार विद्यमान है।

करि किरपा जिसु आपि बुझाइआ ॥
हे नानक ! भगवान जिसे कृपा करके सिमरन की सूझ प्रदान करता है,

नानक गुरमुखि हरि सिमरनु तिनि पाइआ ॥८॥१॥
गुरु के माध्यम से ऐसे व्यक्ति को भगवान के सिमरन की देन मिल जाती है ॥८॥१॥

Sukhmani Sahib Ashtpadi 1